कल शाम कार्यक्रम के बाद रोहित कुमार शर्मा जो “चायवालाज़” के नाम से प्रसिद्ध हैं, के एक आउटलेट पर स्वावलंबी भारत अभियान की प्रांत टीम के साथ चाय पी।
इस साधारण से दिखने वाले क्षण में असाधारण अनुभूतियों का अनुभव हुआ। क्यूँकि स्वावलंबन पर होने वाली अनेक बैठकों और हमारे मार्गदर्शकों द्वारा दी गई परिकल्पना का यही साक्षात और सार्थक रूप है। जब कोई युवा स्वयं पर विश्वास रख पूरे भरोसे के साथ नई संभावनाओं को तलाशने, अपने स्वप्नों को साकार करने सब से अलग अपना मार्ग बना कर उस पर चल पड़ता है। सफलता ऐसे ही लोगों के कदम चूमती है जिनके पैरों पर परिश्रम की धूल और हथेलियों पर श्रम का पसीना होता है।
रोहित कुमार शर्मा जी की यह “चायवालाज़” चाय और उसका स्वाद बहुत लम्बे समय तक याद रहेगा।
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