Archana Meena

जब हम अपने सपनों का भार स्वयं उठा कर अपने हौंसलों को स्वयं गति देने का सामर्थ्य रखते हैं तभी हम सच्चे अर्थों में स्वावलंबी बन पाते हैं। अपना ई-रिक्शा स्वयं चला कर अपने बनाए हुए उत्पादों की बिक्री के लिए चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लिए घर घर जाती लाली जी और चंद्रकला जी को देख कर आज बहुत सुखद अनुभूति हुई।
आप दोनों ही महिलाओं से जानकारी मिली कि वे स्वयं सहायता समूह से जुड़ी हैं और शिल्पग्राम में उनका उत्पाद बिक्री केंद्र है जिसमें घरों में काम आने वाले मसाले आदि वे स्वयं तैयार करती हैं।
हालांकि कड़ी मेहनत के बाद भी उन्हें अधिक लाभ राशि प्राप्त नहीं होती किंतु उनके हौंसलों में कमी नहीं आई है।
यही वह बात है जिसने आज मुझे गहराई तक प्रभावित किया।
Lali ji and Chandrakala ji go from house to house with a confident smile on their face.
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