देश-प्रदेश, रंग-रूप, जाति-धर्म की सीमाओं से परे संसार भर में स्त्री एक साझा धर्म निभाती आई है और वो है समर्पण, सामंजस्य और करुणा का। वह धुरी है मानवता की और संसार के हर कोने में इस संस्कार का बीज है।
आज उसके इसी योगदान का उत्सव मनाने का दिन है। हमारे समाज की इस नींव को सशक्त बनाने की प्रतिज्ञा करने का दिन है।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर समस्त बहनों को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं।
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