सीखने की सबसे पहली प्रक्रिया है कि जब कुछ सीखने बैठें तो यह भूल जाएं कि हम पहले से कितना जानते हैं।
स्वदेशी जागरण मंच एवं स्वावलंबी भारत अभियान से मैं जब से संलग्न हुई हूं, अपने वरिष्ठों से मार्गदर्शन और छोटों से सुझाव लेते हुए, वैचारिक मंथन और उससे प्राप्त अनुभवों के दूरगामी सकारात्मक परिणामों की कल्पना करते हुए, यह प्रतिदिन सीखती हूं की बड़े उद्देश्य हमेशा छोटे छोटे प्रयासों और एकता की संगठित शक्ति से प्राप्त किए जाते हैं।
ईश्वर करें कि सीखने की यह प्रक्रिया आजीवन यूं ही चलती रहे। मेरे लिए यही भारत माता के मंदिर के सत्संग का आनंद है।
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