स्त्री का कोई एक दिन हो ऐसा नहीं है। उसके अस्तित्व से इस सृष्टि के हर क्षण की सार्थकता जुड़ी है अतः उसके सामर्थ्य, उसकी भूमिका और समर्पण का उत्सव हर घर, समाज और देश में हर दिन ही प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप में मनाया जाता है और मनाया जाता रहेगा।
भावी पीढ़ी की निर्माता माँ के रूप में स्त्री ही है किंतु वर्तमान में देश के सामाजिक, आर्थिक शैक्षणिक एवं राजनीतिक स्वरूप को अर्थपूर्ण बनाने के दायित्व का निर्वहन भी उसके कंधों पर है।
नारी की शक्ति असीम है और उसकी उड़ान के हौसले अनंत हैं।
आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर उसके इसी शक्ति को प्रणाम।
स्त्री के रूप में विश्व की आधी शक्ति और आदि शक्ति को उसकी उपलब्धियों पर आज के दिन हार्दिक शुभकामनाएँ।
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