संवेदनशीलता, सम्मान और सुरक्षा जैसी भावनाओं से बनी मानवता की चादर को एक बार फिर दरिंदों ने तार तार कर दिया। बादाम मीना की असामयिक और दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु के मात्र दो दिन बाद आज हमारी एक और बहन उमा गुर्जर की भी निर्मम हत्या से सभ्य समाज को शर्मसार होना पड़ा।
संपूर्ण समाज में महिलाओं की स्थिति और सुरक्षा पर प्रश्नचिन्ह है। एक के बाद एक ये दुराचार एवं उसके बाद की गई जघन्य हत्या की घटनाएं प्रदेश में कानून एवं न्याय व्यवस्था की स्थिति और सरकार और प्रशासन की असफलता को उजागर करती है।
समाज एवं प्रदेश में कोई ऐसा नहीं जिसका हृदय व्यथित ना हो, आत्मा आहत ना हो। जिसको इस घटना से गहरा आघात न पहुंचा हो। स्व. बादाम मीना व उमा गुर्जर को न्याय मिलना आवश्यक है अन्यथा प्रदेश सरकार एवं प्रशासन को जवाब देना होगा।
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