Archana Meena

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कर्मक्षेत्र

  • Archana Meena - Hotel Anuraga Palaceअर्चना मीना विगत कई वर्षों से होटल अनुरागा पैलेस की निदेशक का कार्यभार संभाले हुए हैं। होटल अनुरागा पैलेस लगभग 37 वर्ष पहले स्थापित सवाई माधोपुर का पहला निजी होटल था। साथ ही यह आदिवासी पृष्ठभूमि से आने वाली महिला शक्ति द्वारा संचालित होने वाला पहला होटल भी था। यह क्षेत्र अपने आर्थिक विकास के लिए पर्यटन पर निर्भर है। अतः एक होटल व्यवसायी होने के नाते अर्चना मीना ने इस क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए प्रारंभ से ही प्रयत्न किए हैं। पर्यावरण, स्वच्छता व पर्यटकों की सुरक्षा से जुड़े कार्य उनकी प्रमुख प्राथमिकताओं में से एक रहे हैं। साथ ही होटल अनुरागा पैलेस ने अर्चना मीना की विचारधारा के चलते अपने स्थापना दिवस से ले कर आज तक रोजगार उपलब्ध करवाने में सर्वाधिक स्थानीय युवाओं को अवसर प्रदान किए हैं। स्वदेश में निर्मित वस्तुओं का प्रयोग होटल इंडस्ट्री में अधिकाधिक करने के लिए भी वे प्रयासरत हैं। साथ ही उन्होंने होटल व्यवसाय में काम आने वाले अधिकांश उत्पादों को महिला स्वयं सहायता समूहों से खरीदने और उन समूहों की आर्थिक उन्नति को सुनिश्चित करने के सफल प्रयास किए हैं।  

अर्चना मीना स्वयं सहायता समूह की सदस्य महिलाओं को आत्मनिर्भरता की ओर निरंतर प्रेरित करती आई हैं। उनके द्वारा स्वयं सहायता समूह को चॉक बनाने की मशीन एवं मोमबत्ती बनाने की स्वदेश में निर्मित मशीन भेंट की गई, जिसके द्वारा आज समूह की महिलाएं चॉक व मोमबत्ती बनाने में निपुण हैं।अर्चना मीना उनका कच्चा माल एवं बने हुए उत्पादों की पैकेजिंग एवं मार्केटिंग के कार्य को स्वयं देखती हैं। स्वदेशी की अवधारणा, आत्मनिर्भरता एवं जीवनयापन के विकल्पों में स्थायित्व अर्चना मीना की कार्यपद्धति का संस्कार भाव है, जो उनके प्रत्येक कार्य में परिलक्षित होता हैं। कोविड-19 की महामारी के दौरान अर्चना मीना द्वारा बीस हज़ार मास्क महिलाओं के आपसी सहयोग द्वारा बनाकर वितरित करने का लक्ष्य रखा गया था, जिसे उन्होंने सभी के सहयोग से पूरा किया।

आरंभ भारत : बिक्री एवं प्रोत्साहन केंद्र

स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के हितार्थ उन्होंने एक कदम और आगे बढ़कर जिला मुख्यालय पर एक प्रत्यक्ष बिक्री एवं प्रोत्साहन केंद्र की स्थापना की जिसमें स्वरोजगार करने वाली बहनों द्वारा निर्मित उत्पादों को बिक्री हेतु रखा जाता है।
अर्चना मीना का मानना है कि स्थानीय उत्पादों को उपभोक्ता तक पहुँचाने के माध्यम के अभाव में स्वयं सहायता समूह अपने उद्देश्य की प्राप्ति में पीछे रह जाते हैं अत: इस समस्या के निराकरण हेतु उनका सहयोग करने के लिए जन भागीदारी की महती आवश्यकता है। 

कृषि और कृषक हमारे देश की प्राण वायु है। मूलतः कृषक पारिवारिक पृष्ठभूमि से संबंध रखने वाली अर्चना मीना का परिवार अपने समस्त कार्यों में कृषि को प्रमुखता देता है और उस से जुड़ कर गौरव का अनुभव करता है। उनका इस कर्मक्षेत्र से ना केवल स्वाभाविक जुड़ाव है बल्कि वे इसे वैज्ञानिक, आधुनिक परिप्रेक्ष्य में और उन्नत बनाने के लिए विगत कुछ वर्षों से अपनी मां श्रीमती जसकौर मीना के साथ निरंतर कार्य कर रही हैं। अर्चना मीना अपनी माँ द्वारा स्थापित शबरी कृषि एवं डेयरी फार्म की मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) हैं। यह फॉर्म पूर्ण रुप से ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत है।

शबरी फॉर्म पर स्थित डेयरी से स्थानीय सवाई माधोपुर क्षेत्र में प्रतिदिन लगभग 300 लीटर दूध की सप्लाई होती है। अर्चना ने अपने अथक प्रयासों से गत 4 साल में “शुद्ध के लिए युद्ध” की विचारधारा के साथ दूध के साथ साथ पनीर, मावा इत्यादि की लघु उद्योग इकाई की शुरुआत की जिससे एक प्रकार के को-ऑपरेटिव मूवमेंट को आरंभ किया गया। स्वयं की डेयरी के अतिरिक्त शुद्धता जांच कर अन्य किसानों से भी दूध खरीदा गया जिससे छोटे पशुपालकों को भी अपने उत्पाद के लिए मार्केट मिल पाया। यह एक ऐसा नवाचार था जिससे अन्य पशुपालक भी प्रेरित हुए।

शबरी डेयरी एवं कृषि फार्म से जुड़ा अर्चना मीना का एक और प्रयास शबरी मिठास के रूप में फलीभूत हुआ। स्वयं के डेयरी फॉर्म एवं सहकार से एकत्रित दूध से बने मावे से शुद्धता में खरी मिठाइयों का निर्माण प्रारंभ करने से न केवल उन्होंने स्वास्थ्य के लिए घातक नकली मावे व दुग्ध उत्पादों के घातक दुष्परिणामों के प्रति लोगों में जागृति पैदा करने का कार्य किया, बल्कि छोटी-छोटी इकाइयों को फॉर्म से संलग्न करके एक आत्मनिर्भर व 100% सस्टेनेबल फार्मिंग सिस्टम की नींव रखी जो आसपास के छोटे किसानों के लिए आदर्श के रूप में प्रस्तुत हुई।

देसी व गीर गायों की डेयरी होने के कारण उनसे प्राप्त गोबर से अन्य ऐसे उत्पाद बनाने की उन्होंने लघु इकाई डाली जिससे पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सार्थक और सकारात्मक कदम बढ़ाए जा सके। गोबर से जड़ी बूटियों व पूजा में प्रयुक्त होने वाली धूप इत्यादि को गोबर में मिलाकर धूप बत्ती का निर्माण आदि कार्य अर्चना मीना ने शबरी कृषि फार्म पर निजी प्रयासों से प्रारंभ करवाए, जिसमें स्थानीय युवाओं एवंमहिलाओं की संलग्नता बढ़ाने के लिए वे प्रतिबद्ध हैं ताकि उन्हें लघु उद्योगों के द्वारा आत्मनिर्भरता की ओर प्रेरित किया जा सके और उनका आर्थिक उन्नयन हो सके।

अर्चना मीना ने होटल एवं कृषि फार्म पर सौर ऊर्जा के उपयोग का प्रतिशत बढ़ाने में अति महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए न केवल अपने कार्यों में सौर ऊर्जा का अधिकतम उपयोग किया है, अपितु अधिकाधिक लोगों को अपने विभिन्न प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से प्रेरणा व सहयोग देने का कार्य भी किया है। शबरी फॉर्म पर जल के संरक्षण व सही उपयोग पर सर्वाधिक ध्यान दिया जाता है। ड्रिप इरीगेशन व वाटर साइकिलिंग के लिए बने छोटे किन्तु कारगर उपायों का निरीक्षण व संवर्धन अर्चना मीना स्वयं करती हैं।

अपनी मां श्रीमती जसकौर मीना द्वारा स्थापित ग्रामीण महिला विद्यापीठ की एग्जीक्यूटिव मेंबर के रूप में अर्चना मीना प्रारंभ से ही अपनी सक्रिय भूमिका निभाती आई हैं। शिक्षा के क्षेत्र में बालिकाओं की उन्नति का आधार संपूर्ण व्यक्तित्व और प्रयोगात्मक ज्ञान होना चाहिए इसकी भी प्रबल पक्षधर है। इसी विचारधारा के चलते हुए बालिकाओं के सर्वांगीण विकास के लिए समय-समय पर संगोष्ठयों, वर्कशॉप व अन्य गतिविधियों का आयोजन वे करती आई हैं। साथ ही वे बालिकाओं के स्वास्थ्य से संबंधित मूलभूत सुविधाओं व सहायता प्रदान करने के लिए तत्पर रहती हैं। अर्चना मीना द्वारा संस्था में समय-समय पर महिलाओं और बालिकाओं के लिए शिविर, चिकित्सकीय परामर्श कैंप का आयोजन कुशल महिला चिकित्सकों के सौजन्य से किया जाता रहा है। उनके द्वारा विद्यापीठ परिसर में एक एक सेनेटरी नैपकिन इन्सीनेटर/डिस्टोयर मशीन व वैंडिंग मशीन की सुविधा उपलब्ध कराई गई है।
लोक कलाओं व लोक संगीत में गहन रुचि रखने वाली अर्चना मीना बालिकाओं को विभिन्न हस्तकलाओं की ओर भी निरंतर प्रेरित करती आई हैं। स्किल डेवलोपमेन्ट भविष्य में आत्मनिर्भरता का आधार होगा इस उनका दृढ़ विश्वास है।

कोविड-19 महामारी के प्रथम और दूसरे दौर में अर्चना मीना ने यथासंभव मदद कर अपना एक संवेदनशील नागरिक होने का कर्तव्य निभाया। उन्होंने महीनों तक ऐसे घरों में नि:शुल्क भोजन भेजा जहां घर की महिलाएं इस बीमारी से ग्रस्त हो गई थीं और घर मे भोजन का प्रबंध करने वाला कोई नही था। उनकी इसी संवेदनशीलता के चलते उन्हें फूड दीदी की उपाधि से अलंकृत कर लोगों ने उनके प्रति आभार व्यक्त किया।

होटल अनुरागा पैलेस, शबरी डेयरी एवं कृषि फार्म व विद्यापीठ को अपने संपूर्ण साथी गणों के स्वास्थ्य, परिवार में बैलेंस का अर्चना स्वयं ध्यान रखती हैं। समय-समय पर सभी से सौहार्दपूर्ण चर्चाएं करना, परिवारों की परिस्थितियों के प्रति संवेदनशीलता रखना, एक्सपर्ट्स को बुलाकर मेंटल हेल्थ एवं वेलनेस के प्रति उनकी जागरूकता को बढ़ाना वे मानवीय आधार पर अपने कार्य का अति महत्वपूर्ण भाग मानती हैं।

Archana Meena Speech Piplai Bamanwasअर्चना मीना वर्तमान में स्वदेशी जागरण मंच की अखिल भारतीय महिला प्रमुख एवं राष्ट्रीय परिषद की सदस्य हैं। स्वदेशी जागरण मंच द्वारा स्वदेश में निर्मित वस्तुओं के उपयोग के द्वारा हमारे देश की आत्मनिर्भरता बढ़ाने की पवित्र मुहिम को आगे बढ़ाने में उनका निरंतर प्रयास एवं योगदान रहता है। अर्चना मीना स्वदेशी जागरण मंच की पहली मीना आदिवासी समाज से आने वाली प्रांतीय महिला कार्य प्रमुख है। इस मंच से वे अपनी निष्ठा, संस्कार एवं विचारधारा के चलते जुड़ीं।
“विदेशी पर निर्भरता या स्वदेशी से आत्मनिर्भरता में से यदि एक का चुनाव करना हो तो कठिनाई कहां है और यदि है तो आपको अपने देश के प्रति कर्तव्य का पाठ गहराई से पढ़ना और समझना बाकी है।”
अपने इसी प्रश्न को विभिन्न मंचों के माध्यम से उठाकर आमजन की सोच में एक जागृति पैदा करने के लिए वे सतत प्रयासरत हैं।कोविड-19 में होने वाली विभिन्न गतिविधियों एवं वेबीनारों में उन्होंने निरंतर सक्रिय भूमिका निभाई है। स्वदेशी में अर्थ चिंतन, आत्मनिर्भरता, स्वरोजगार आदि विषयों पर विभिन्न कार्यशालाओं व संगोष्ठीयों की उन्होंने अध्यक्षता की है।
स्वदेशी सप्ताह के अंतर्गत आने वाली समस्त गतिविधियों में उन्होंने ग्रामीण स्तर पर स्वदेशी संकल्प पत्र के माध्यम से गांव में बसे परिवारों को इस मुहिम से जोड़ा है और उन्हें ग्रामीण स्तर पर प्रत्येक कार्य में स्वदेश में निर्मित वस्तुओं के उपयोग का संकल्प दिलवाया है।

स्वदेशी जागरण मंच के अंतर्गत आने वाली लघु और कुटीर उद्योग इकाई की अर्चना मीना सक्रिय सदस्य हैं। स्वयं एक उद्यमी होने के कारण महिलाओं के समक्ष आने वाली विभिन्न समस्याओं और चुनौतियों को गहराई से समझने मेंवे सक्षम है। लघु उद्योग इकाई के सहयोग द्वारा लघु एवं कुटीर उद्योग चलाने वाली महिलाओं के लिए  ऐसी चुनौतियों के समाधान के मार्ग प्रशस्त होते हैं।
“महिला शक्ति के एकजुटता समाज व देश में बड़े-बड़े बदलाव ला सकती है। उनका संगठित होना देश के लिए उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है।”
ऐसा अर्चना मीना का दृढ़ विश्वास है। वे ग्रामीण महिलाओं को समय समय पर सरकारी योजनाओं की जानकारी देने के शिविरों का आयोजन करती रही हैं।
अविका नगर के अपनी मां श्रीमती जसकौर मीना के साथ किए दौरे के पश्चात उन्होंने उन्नत नस्ल की भेड़ व बकरी पालन के आदर्श मॉडल को उदाहरण के तौर पर अपने शबरी कृषि एवं डेयरी फार्म पर स्थापित किया ताकि उससे प्रेरणा पाकर वे महिलाऐं भी जीविकोपार्जन कर पाएं जो आर्थिक रुप से इतनी सक्षम नहीं है कि किसी उद्योग में धनराशि लगा सके। अर्चना मीना का योगदान सदैव से ग्रामीण क्षेत्र को मुख्य धारा से जोड़ने में रहा है ताकि उनका दृष्टिकोण और व्यापक हो सके और जीवन को और उन्नत बनाने के सुअवसर समस्त देशवासियों में समानता के साथ वितरित हों।
स्वदेशी सप्ताह के अंतर्गत अर्चना मीना ने क्षेत्र के अनेक विद्या मंदिरों में जाकर हमारे देश का भविष्य छात्र-छात्राओं को स्वदेशी उत्पाद खरीदने का संकल्प दिलाया। स्वदेशी का देश की विकास में क्या महत्व है इससे नई पीढ़ी को अवगत करवाते हुए अनेक प्रतियोगिताओं का आयोजन किया ताकि सरलता से वे इस अति महत्वपूर्ण विषय को समझ सके और अपने जीवन में उतार सकें।

अर्चना स्वदेशी मंच द्वारा आयोजित विभिन्न बैठकों की अध्यक्षता कर चुकी हैं और अन्य लगातार चलने वाली संगोष्ठीयों के दौरान मंच संचालन करते हुए सदैव अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज करवाती आई हैं।
बस्सी में प्रांतीय वर्ग के द्वि-दिवसीय सम्मेलन में उन्होंने सक्रिय भागीदारी निभाई एवं प्रत्येक कार्यक्रम में  भाग लिया। पारिवारिक सौहार्द, समन्वय, संस्कृति व संस्कारों की अर्चना मीना प्रबल पक्षधर हैं और उनका मानना है कि:
“परिवार रूपी इकाई पर काम किये बिना देश के भविष्य के बारे में कोई सकारात्मक कल्पना नहीं की जा सकती।”
और इसमें सबसे महत्वपूर्ण भूमिका महिलाओं की है।
अर्चना मीना द्वारा महिला उद्यमियों का ग्राम पंचायत स्तर पर सम्मान भी किया गया है।

अर्चना मीना देश की सशक्त एवं जागरूक युवा शक्ति का जीवंत उदाहरण है। उनकी विचारधारा के प्रति निष्ठा, सुलझी हुई सोच, प्रखर बुद्धि एवं जुझारू व्यक्तित्व से वे सभी को अपने साथ जोड़ कर चलती हैं। समाज में व्याप्त अकर्मण्यता उन्हें सबसे अधिक विचलित करती है। उनका मानना है कि “प्रत्येक स्तर पर जन कल्याण का कार्य किया जा सकता है, चाहे छोटा हो या बड़ा। किंतु उसके लिए हमें पूर्वाग्रहों से निकलना होगा और साथ ही एक ऐसे समाज का निर्माण करना होगा जिसमें एक दूसरे को निस्वार्थ सहयोग करते हुए सर्वे भवंतू सुखिनः के मूलभूत सिद्धांत पर कार्य करना देशहित में सभी का साझा धर्म माना जाए।”