परस्पर अपनत्व और सद्भावना के कारण जुड़े सम्बन्धों की जड़ें बहुत गहरी होती हैं। जब ऐसे सज्जनों का सानिध्य मिलता है तो परिवार और विस्तृत होता चला जाता है। आज ऐसा ही अनुभव बौंली से लौटते समय भाई श्री शंकरलाल जी गुर्जर (अध्यक्ष, ग्राम सेवा सहकारी समिति, बौंली) के घर रुक कर हुआ। उनकी माताश्री फाबुली देवी जी का सर पर आशीर्वाद स्वरूप रखा हाथ, उनकी पुत्री मनीषा, पुत्र रायसिंह गुर्जर एवं ब्रह्मसिंह गुर्जर के द्वारा दिया गया सम्मान मेरी स्मृतियों में सदैव रहेगा।
उनके पूरे परिवार को मेरी अनेकानेक शुभकामनाएँ एवं अभिनंदन।
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